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गंगा तट पर स्थित बिठूर दैवीय एवं पौराणिक विभूतियों का जन्मस्थल होने के साथ भगवान राम के पुत्र लव - कुश की जन्मभूमि है | बिठूर के अन्य दर्शनीय स्थल ब्रह्मावर्त घाट पत्थर घाट वाल्मीकि आश्रम ध्रुव टीला नाना राव स्मारक कर आदि |
भीतरगांव में सातवीं सदी में बनवाया गया ईटों से निर्मित गुप्तकालीन मंदिर इतिहास में दर्ज है यह मंदिर अपनी सुरक्षित तथा उत्तम सांचे में ढली ईटों के कारण प्रसिद्ध हैं मंदिर के गर्भ गृह में कोई मूर्ति नहीं है |
बिठूर में मैनावती मार्ग पर स्थित एक प्रसिद्ध राधा माधव मंदिर जिसमें भगवान कृष्ण एवं राधारानी आकर्षक स्वरूप में विराजमान है तथा जिनकी उपासना अष्टयाम विधि (आठ पहर की सेवा - पूजा का विधान) से की जाती है |
जे०के० ट्रस्ट द्वारा निर्मित राधा कृष्ण मंदिर प्राचीन एवं प्राचीन और आधुनिक वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण है पांच देवस्थानो को समर्पित इस मंदिर के केंद्र में श्री राधा कृष्ण के अतिरिक्त श्री लक्ष्मी नारायण श्री अर्धनारिश्वर श्री नर्मदेश्वर वह श्री हनुमान जी है |
इसे सती चौरा घाट या मैंसेकर घाट भी कहते हैं यह कानपुर के ऐतिहासिक पर्यटन केंद्रों में से एक है सती चौरा घाट पर 1857 किसान विद्रोह के पश्चात् अंग्रेज सेना के अफसर जसवंन स्टुअर्ट ने सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया था |
इसे क्वीन विक्टोरिया गार्डन तथा गणेश शंकर विद्यार्थी उद्यान के नाम से भी जाना जाता है प्राकृतिक सौंदर्य से पूर्ण यह पार्क शहर के मध्य तथा पवित्र गंगा नदी के पास स्थित है पार्क में 150 फीट ऊंची ध्वज स्तंभ लगाया गया है|
ऑल सोल्स मेमोरियल चर्च कानपुर, 1875 मैं कानपुर की घेराबंदी के दौरान अपनी जान गवाने वाले अंग्रेजों के सम्मान में बनाया गया |
कानपुर में सरसैया घाट एक ऐसा प्राचीन घाट है जहां प्रतिवर्ष गंगा मेला का आयोजन किया जाता है तथा गंगा आरती यहां का विशेष आकर्षण है जिसके विहंगम दृश्य देश-विदेश से आए लोगों के मन को मुग्ध कर देता है |
बिठूर का सुधांशु जी महाराज आश्रम कानपुर पर्यटन का प्रमुख आकर्षण केंद्र है। प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त उद्यानों के मध्य भगवान कृष्ण का मंदिर एवं कैलाश मंदिर है ।
जैन समुदाय द्वारा निर्मित मंदिर जैन धर्म के उपासको ,भगवान महावीर और शेष 23 जैन तीर्थकरो को समर्पित है संपूर्ण मंदिर का ढांचा कांच और मीनाकारी से सुसज्जित है कांच की नक्काशी और जैन लिपि में लिखें उपदेशों से इसके सुंदर को और बढ़ाते हैं |
इस गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब की 350 मोबाइल्स प्राचीन पांडुलिपि है जो भाई बन्नो साहिब के हस्ताक्षर से प्रमाणित है यहां लोगों को आध्यात्मिक एवं मानसिक शांति मिलती है साथ ही कलात्मक दृष्टि से भी बेजोड़ हैं |
प्राचीन एवं प्रसिद्ध श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर की स्थापना 400 वर्ष पूर्व कानपुर में पनकी रेलवे स्टेशन के पास श्री 1008 महंत पुरुषोत्तम दास जी द्वारा करवाई गई थी ऐसा माना जाता है कि भगवान की मुखाकृति में उनकी तीन अवस्थाओं बाल युवा एवं तेजस्वी के रूप में देखा जा सकता है |